एक अजीब सी विडम्बना है विधवा की इस समाज में। एक अजीब सी विडम्बना है विधवा की इस समाज में।
क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..!! क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..!!
क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..! क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..!
कि बेटी को जब सब मारेगें तो फिर किसी के घर बहू कहॉं से आयेगी। कि बेटी को जब सब मारेगें तो फिर किसी के घर बहू कहॉं से आयेगी।
वो क्या है कि किताबी ज्ञान नहीं होता है काफी इन क्षुद्र मानसिकता वाले लोगों के लिए। वो क्या है कि किताबी ज्ञान नहीं होता है काफी इन क्षुद्र मानसिकता वाले लोगों के...
इस समाज का आईना बनूंगी, अगर आज मैं ख़ामोशी से सब सह लूँं तो बेटियों को न्याय नहीं... इस समाज का आईना बनूंगी, अगर आज मैं ख़ामोशी से सब सह लूँं तो बेटिय...